नई दिल्ली(एजेंसी):कहते हैं नवरात्रि में मां का नाम लेने भर से भक्तों के कष्ठ दूर हो जाते हैं। कहा जाता है कि नवरात्रि में कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से अभिष्ठ कार्य की सिद्धि होती है और पूजा का कई गुना फल मिलता है। यहां हम आपको बता रहे हैं एक मंत्र जिसका नवरात्रि के नौ दिनों या किसी एक दिन उच्चारण करने से मां प्रसन्न होती हैं और भक्त की व्याधि, रोग, पीड़ा और दरिद्रता को नकहते हैं नवरात्रि में मां का नाम लेने भर से भक्तों के कष्ठ दूर हो जाते हैं। कहा जाता है कि नवरात्रि में कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से अभिष्ठ कार्य की सिद्धि होती है और पूजा का कई गुना फल मिलता है। यहां हम आपको बता रहे हैं एक मंत्र जिसका नवरात्रि के नौ दिनों या किसी एक दिन उच्चारण करने से मां प्रसन्न होती हैं और भक्त की व्याधि, रोग, पीड़ा और दरिद्रता को नष्ट कर भक्त को उत्तम स्वास्थ्य और धन संपति का वरदान देती हैं।
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै:स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दरिद्रायदु:खभयहारिणी का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सादर्द्रचित्ता।।
मंत्र का हिन्दी अर्थ: मां दुर्गे आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती है और स्वस्थ जीवन प्रदान करती है। स्वस्थ पुरुषों द्वारा चिन्तन करने पर उनको परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती है। दुःख, दारिद्रता और भय हरने वाली हे देवी मां आपके सिवाय दूसरा कौन है जिसका चित्त, मन सभी का उपकार करने के लिए सदा ही दयार्द्र रहता हो।
ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार प्रकार इस मंत्र का जप करने वाला अपने समस्त रोग, व्याधि, जरा, पीड़ा, दुःख, दरिद्रता से मुक्ति पा जाता है। इस मंत्र का सम्पुट लगाकर नौ चंडी का पाठ घर में नवरात्रि में कराने से सभी प्रकार के कष्टों से सरलता से मुक्ति हो जाती है। माता की अत्यन्त कृपा प्राप्त होती है।ष्ट कर भक्त को उत्तम स्वास्थ्य और धन संपति का वरदान देती हैं।
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै:स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दरिद्रायदु:खभयहारिणी का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सादर्द्रचित्ता।।
मंत्र का हिन्दी अर्थ: मां दुर्गे आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती है और स्वस्थ जीवन प्रदान करती है। स्वस्थ पुरुषों द्वारा चिन्तन करने पर उनको परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती है। दुःख, दारिद्रता और भय हरने वाली हे देवी मां आपके सिवाय दूसरा कौन है जिसका चित्त, मन सभी का उपकार करने के लिए सदा ही दयार्द्र रहता हो।
ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार प्रकार इस मंत्र का जप करने वाला अपने समस्त रोग, व्याधि, जरा, पीड़ा, दुःख, दरिद्रता से मुक्ति पा जाता है। इस मंत्र का सम्पुट लगाकर नौ चंडी का पाठ घर में नवरात्रि में कराने से सभी प्रकार के कष्टों से सरलता से मुक्ति हो जाती है। माता की अत्यन्त कृपा प्राप्त होती है।