कोरबा@M4S:खुदा की इबादत के लिए कोई उम्र नहीं होती। रमजान माह में रोजेदार रोजा रखकर खुदा की इबादत करते हैं इसमें बच्चे भी पीछे नहीं है। कुसमुंडा वैशाली नगर निवासी नन्हीं मासूम लायबा खान ने रोजे रखकर खुदा की इबादत में मशगूल है। लायबा ने बताया कि घर में बड़ों को रोजा रखते देखकर उसे भी रोजा रखने की इच्छा होती है। शुरूआत के दौर में उसे लगता था कि दिन भर वह बिना खाए-पिए कैसे रह सकती है, पर जब रोजा रखना शुरू किया, उसे भूख-प्यास का एहसास नहीं हुआ। रोजा रखकर वह काफी खुशी महसूस कर रही है। भले ही वह अभी 10 साल की है इस रमजान में उसने पहली बार रोजा रखना शुरू किया। उसका कहना है कि रमजान के महिने में की जाने वाली इबादत से कोरोना वायरस से छुटकारा मिलेगा। देश-दुनिया को इस वायरस से निजात दिलाने की वह ख़ुदा से दुआ कर रही हैं।
माहे रमज़ान की फ़ज़ीलत
माहे रमज़ान एक ऐसा महीना है जिसमें हर दिन और हर वक्त इबादत होती है। रोजा इबादत इफ्तार इबादत इफ्तार के बाद तरावीह का इंतजार करना इबादत, तरावीह पढ़कर सहरी के इंतजार में सोना इबादत गरज कि हर पल खुदा की शान नजर आती है। कुरआन शरीफ में सिर्फ रमजान शरीफ ही का नाम लेकर इसकी फजीलत को बयान किया गया है रमज़ान के अलावा और किसी महीना को इतनी नेमत नहीं बख्सा गया है,