जेनेरेटिंग ट्रांसफार्मर महंगा संसाधन है, इसका उचित रखरखाव का ज्ञान होना बेहद जरूरी हैः कोसरिया

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अटल बिहारी वाजपेयी ताप विद्युत संयंत्र में तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

जांजगीर@M4S: ट्रांसफार्मर के उचित रखरखाव के लिए तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ दिशानिर्देशों का डाक्यूमेंटेशन वास्तव में काफी कारगर साबित होगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहे पाॅवर कंपनी के इंजीनियर निश्चित ही तकनीकी रूप से अपने आपको और ज्यादा सक्षम बना पाएंगे। यह बातें बतौर अध्यक्ष मुख्य अभियंता एचएन कोसरिया ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में कही। समारोह में मुख्य अतिथि ट्रांसफार्मर के तकनीकी विशेषज्ञ अशोक कुमार यादव, विशिष्ट अतिथि अतिरिक्त मुख्य अभियंता राजाबाबू कोसरे, आलोक लकरा, रामजी सिंह और अब्दुल समद की गरिमामयी उपस्थिति रही।

अटल बिहारी वाजपेयी ताप विद्युत संयंत्र (एबीवीटीपीएस) में 27 सितंबर से 01 अक्टूबर तक पांच दिवसीय तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम जनरेशन कंपनी के प्रबंध निदेशक श्री एनके बिजौरा के नाॅलेज शेयरिंग एवं अपग्रेडेशन की सोच पर आधारित है। इस प्रशिक्षण सत्र में मुख्यालय रायपुर, हसदेव ताप विद्युत गृह कोरबा पश्चिम, बांगो जलविद्युत संयंत्र माचाडोली, डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत संयंत्र कोरबा पूर्व के रसायनज्ञ व अभियंताओं ने भी हिस्सा लिया। ट्रांसफार्मर के तकनीकी विशेषज्ञ अशोक कुमार यादव ने रसायनज्ञ व अभियंताओं को प्रशिक्षित किया। इसमें उन्होंने बताया कि जेनेरेटिंग ट्रांसफार्मर के नवीनतम व उच्चस्तरीय तकनीकी ज्ञान मिलने से इसके उचित रखरखाव में मदद मिलेगी और अवांछित हानि से बचा जा सकेगा।
गौरतलब है कि विद्युत संयंत्रों में जेनेरेटिंग ट्रांसफार्मर अत्यंत महत्वपूर्ण एवं महंगी इकाई है। इसके बिना विद्युत उत्पादन संभव नहीं है। अपनी जटिलता एवं अधिक कीमत के कारण सामान्यतः यह खुले बाजार में उपलब्ध नहीं है। करीब 25 करोड़ की लागत की जेनेरेटिंग ट्रांसफार्मर केवल आर्डर पर कपनियां बनाती हैं। इसे बनने में ही करीब डेढ़ साल का समय लगता है। विद्युत संयंत्रों में यदि यह कभी खराब होती है तो आर्थिक नुकसान होने के साथ विद्युत उत्पादन की हानि होती है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में ट्रांसफार्मर जैसे महंगे संसाधन को व्यवस्थित रूप में रखने लिए तकनीकी दिशा-निर्देर्शों का डाक्यूमेंटेशन किया गया। ट्रांसफार्मर के उचित रखरखाव के लिए डीजीए एक अंत्यंत महत्वपूर्ण विधि है, जिस पर विस्तार से चर्चा हुई एवं इसका प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम में देवेश दुबे, वीके पांडेय, जीपी राय, आर. अरविंद ने भी अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम का संयोजन वरिष्ठ मुख्य रसायनज्ञ आरके तिवारी एवं अधीक्षण अभियंता आरके नायक द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन अर्चना पांडे ने किया।

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