कोरबा@M4S: पावर संयंत्र कंपनियों को कोयला की गुणवत्ता को लेकर कई शिकायतें होती हैं। अनुबंध अनुरूप कोयला नहीं मिलने और गुणवत्ता की शिकायत को दूर करने की कवायद की गई है।कोयले की क्वालिटी की जांच के लिए क्वालिटी काउसिंल ऑफ इंडिया, एसईसीएल और कोल खरीदने वाली पॉवर कंपनियों के बीच त्रिपक्षीय अनुबंध किया गया है। पॉवर कंपनियों को अब अगर कोयले के ग्रेड को लेकर संशय की स्थिति रहेगी तो वे कोयले की जांच करा सकेंगे।
इससे पूर्व भी कोयले की गुणवत्ता जांच करने के लिए कोल इंडिया की अनुषांगिक कंपनियों का खुद का एक सेटअप है।जहां कंपनियां उत्पादन और वितरण के बाद कोयले की गुणवत्ता जांच करते रहे हैं।
इस प्रक्रिया के बाद भी कोयले के ग्रेड व क्वालिटी को लेकर पॉवर कंपनियां शिकायत करते रहे हैं। दरअसल इससे पूर्व सी आई आर एफआर, कोटकेना, सीजीएस और मित्रा एसकेएस कंपनियों द्वारा कोयले की ग्रेड की जांच होती थी। पॉवर कंपनियों की शिकायत पर एनएबीएल से मान्यता प्राप्त पांच लैब से अनुबंध किया गया है। पांचों ही लैब सरकारी संस्था हैं। इन लैब से क्वालिटी काउसिंल ऑफ इंडिया ने एक साल के लिए अनुबंध किया है जिसे बाद में बढ़ाया भी जा सकता है।कोयले की जांच के लिए सम्बंधित पॉवर कंपनी और कोल कंपनी को छह रूपए प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से राशि जमा करनी होगी। 50 50 फीसदी राशि दोनों कंपनी को देना होगा। 30 दिन के भीतर रिपोर्ट देनी होगी।
इन जगहों से लिए जाएंगे कोयले के सैंपल
अगर कोयले के वैगन से सैंपल लेने होंगे तो लोडिंग प्वाइंट और पॉवर कंपनी की अनलोडिंग साइड पर कोयले के सैंपल लिए जाएंगे। इसी तरह कन्वेयर बेल्ट से भी लोडिंग व अनलोडिंग प्वाइंट से सैंपल लिए जाएंगे। रोड सेल से लोडिंग, अनलोडिंग के साथ बीच रास्ते में भी सैंपल लिए जा सकेंगे। इसकी पूरी वीडियो और फोटोग्राफी भी की जाएगी।
अब इन संस्थानों में होंगे कोयले के सैंपल
सेंट्रल पॉवर रिसर्च इंस्टीट्यूट बैंगलोर
सीएसआईआर-आईएमएमटी भुवनेश्वर
एनएमएल, जमशेदपुर
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कैमेकिल टेक्नॉलाजी हैदराबाद