कोरबा@M4S: देश की सरकारी कोयला कंपनी कोल इंडिया में स्थायी मजदूरों की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है। दूसरी तरफ ठेका मजदूरों की संख्या में वृद्धि हो रही है। ये मजदूर कोयला कंपनियों में आउटसोर्सिंग के माध्यम से खनन का काम करते हैं। कोयला उद्योग में यह ठेका प्रथा अब रूकने वाली नहीं है। ठेका मजदूर ही कोयले के उत्पादन में महती भूमिका निभाएंगे। इसके मद्देनजर केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने एक बार फिर कोल इंडिया में ठेका प्रथा को पांच साल के लिए विस्तार दे दिया है।
कोल इंडिया की सभी कोयला कंपनियों में खनन कार्य में लगे ठेका श्रमिक पांच वर्ष तक अब और काम कर सकेंगे। इसकी अधिसूचना केंद्र सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 18 फरवरी को जारी कर दी है। यह आदेश सात दिसंबर 2021 की तिथि से अगले पांच वर्ष तक के लिए प्रभावी रहेगा। इससे कोयला खनन क्षेत्र में प्रत्यक्ष व प्रत्यक्ष रूप से लगे साढ़े तीन लाख ठेका श्रमिकों का लाभ होगा। एसईसीएल में ही आठ हजार ठेका मजदूरों को इसका सीधा फायदा मिलेगा। वर्तमान में 78 हजार ठेका श्रमिक सीएमपीएफ में पंजीकृत हैं। कोल इंडिया की इकाई एसईसीएल ,बीसीसीएल, ईसीएल, सीसीएल, एमसीएल, एनईसी, डब्ल्यूसीएल व एनसीएल में काम कर रहे ठेका मजदूरों पर यह आदेश प्रभावी होगा। कोल इंडिया में 21 जून 1988 से ही कोयला कंपनियों में ठेका श्रमिकों को खनन क्षेत्र में लगाने को लेकर छूट दी गई है। समय-समय पर इसमें विस्तार किया गया है। कोयला खदान में खनन में ठेका श्रमिकों को लगाने के लिए श्रम व रोजगार मंत्रालय से अनुमति अनिवार्य रूप से लेनी होती है। ठेका श्रमिकों के वेतन व सुविधाओं पर हाई पावर कमेटी ही हर निर्णय लेती है। उसी निर्णय को कोल इंडिया में लागू किया जाता है। वर्तमान में कोल इंडिया में 65 फीसद कोयला उत्पादन ठेका श्रमिकों के भरोसे है। खुली खदानों में आउटसोर्सिंग कंपनियों के माध्यम से खनन कराया जाता है।
ठेका मजदूरों की रोजी
अकुशल 950
अद्र्धकुशल 987
कुशल 1023
हाई स्किल्ड 1059
कोयला खदानों में ठेका प्रथा की मियाद बढ़ी पांच साल एसईसीएल के 8 हजार ठेका मजदूरों को मिलेगा लाभ
- Advertisement -