काउंटिंग का काउंट-डाउन शुरू,अगला विधायक कौन फैसला कल

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मतगणना की तैयारी पुख्ता,परिणाम का सबको इंतजार
कोरबा@M4S: विधानसभा चुनाव के मतगणना का वक्त नजदीक आ चुका है। कल जैसे ही घड़ी के कांटे सुबह 7.30 बजने का इशारा करेंगे उसी के साथ ही ईवीएम में कैद जनादेश परिणाम के रूप में बाहर आने लगेगा। राजनीति के गलियारे में परिणामों को लेकर चिंता बढ़ गई है। आमजनता भी यह जानने को उत्सुक है कि उनका अगला विधायक कौन होगा। वही निर्वाचन आयोग ने मतगणना की तैयारी पुख्ता कर ली है।
कोरबा जिले की चार विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान संपन्न हुआ। रामपुर, कोरबा, कटघोरा व पाली-तानाखार विधानसभा का विधायक बनने कुल 45 उम्मीदवारों ने दांव खेला है। जीत तो किसी एक की होनी है परन्तु जोर आजमाईश सभी ने की है। तन-मन-धन लगाने के बाद मतदाताओं का समर्थन चाहने वाले उम्मीदवारों को मतदाताओं ने भी निराश नहीं किया और अच्छा-खासा वोट इस चुनाव में पड़ा है। प्रत्याशी और उनके एजेंट प्रत्येक बूथ पर पडऩे वाले मतों के आंकड़े व प्रतिशत के आधार पर अपना गुणा-भाग पहले दिन से लगाते आ रहे हैं और इसी आधार पर अपनी-अपनी जीत तय मान रहे हैं। हालांकि ईव्हीएम खुलने और अंतिम चक्र की गिनती पूरी होने के बाद ही तमाम संभावनाओं पर विराम लगेगा। परिणाम किस-किस के पक्ष में आयेगा और अगले 5 साल के लिए जनता की सेवा करने का सौभाग्य किसके माथे पर लिखा है, इसका फैसला 11 दिसंबर को दोपहर तक हो जाएगा।
जिले में रामपुर विधानसभा से ननकीराम कंवर भाजपा, श्यामलाल कंवर कांग्रेस व फूलसिंह राठिया जकांछ, कोरबा विधानसभा से जयसिंह अग्रवाल कांग्रेस, विकास महतो भाजपा, रामसिंह अग्रवाल जकांछ, कटघोरा लखनलाल देवांगन भाजपा, पुरूषोत्तम कंवर कांग्रेस, गोविन्द सिंह राजपूत जकांछ, सपुरन कुलदीप माकपा, पाली-तानाखार विधानसभा से मोहित केरकेट्टा कांग्रेस, रामदयाल उईके भाजपा, हीरासिंह मरकाम गोंगपा के बीच सीधी और कड़ी टक्कर है। इनके अलावा आम आदमी पार्टी, क्षेत्रीय दल व निर्दलीय प्रत्याशी भी क्षेत्रीय मुद्दों के बूते अच्छा-खासा वोट की उम्मीद लगाये बैठे हैं।
इस बार जीत का जश्न रहेगा फीका
चुनाव का परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आये या भाजपा के पक्ष में, इनके जीत का जश्न फीका-फीका रहेगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के द्वारा प्रदूषण के मामले में संवेदनशील शहरों में आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाया गया है जिसमें कोरबा भी शामिल है। आतिशबाजी तो दूसरा विषय हो जाता है क्योंकि जश्न तो बिना आतिशबाजी के भी मनाया जा सकता है परन्तु संगठन के निर्देश ऐसे हैं कि सूखा जश्न भी मनाना नसीब नहीं होगा। दो धारी तलवार पर माने जा रहे इस चुनाव में दोनों ही दल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है और आकाओं को निर्वाचित विधायकों की खरीद-फरोख्त का भय सता रहा है। राजधानी में हुई बैठक में दोनों ही दल प्रमुखों ने परिणाम के तुरंत बाद निर्वाचित विधायकों को रायपुर तलब होने के निर्देश दिए हैं।

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