कोरबा@M4S: सरकारी जमीन पर बेजा कब्जा करने के कारण हालात ये हो गए हैं कि अब सरकार की योजना का क्रियान्वयन के लिए जमीन मिलना मुश्किल होने लगा है। ग्रामीण अंचल भी बेजा कब्जा की चपेट में तेजी से आते जा रहे हैं और गौठान के लिए सरकारी जमीन तलाशने बार-बार नापजोख करने के बाद भी अतिक्रमित भूमि से कब्जा नहीं हटाया जा सका है।
छत्तीसगढ़ सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना नरवा गरवा घुरवा बाड़ी के द्वितीय चरण का क्रियान्वयन के लिए कई ग्राम पंचायतों के नाम शामिल हैं। इसमें ग्राम पंचायत फरसवानी भी शामिल है। बताया गया कि ग्राम पंचायत फरसवानी में कब्जाधारियों द्वारा किए गए बेजा कब्जे से सरकारी ज़मीन मुक्त करवाने में राजस्व अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। गौठान के लिए चिन्हांकित सरकारी ज़मीन में सीमांकन विवाद के बाद पटवारी ने 4 बार सीमा की नापजोख कर डाली, उसके बाद भी एक स्थानीय कब्जेदार से सरकारी ज़मीन पर कब्जा नहीं छुड़ा पा रहे हैं। ग्रामीणों के मुताबिक गौठान निर्माण के लिए खोदे गए नींव स्थान को बार-बार बदला गया जिसके कारण गौठान निर्माण का कार्य लटक गया है। वहीं जनपद पंचायत के जिम्मेदार आधिकारी भी इस मामले में ध्यान नहीं दे रहे हैं। गौठान नहीं होने से किसानों की फसल मवेशी बर्बाद कर रहे हैं। गौठान निर्माण के बंद रहने से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। गौठान निर्माण कार्य में ग्राम पंचायत फरसवानी के सरपंच, सचिव सहित जनपद के जिम्मेदार अधिकरी कोई रुचि नहीं ले रहे हैं जिसके कारण शासन की महत्वपूर्ण योजना गौठान को पलीता लग रहा है। गौठान नहीं बनने से किसानों को शासन के गोबर तथा गौ मूत्र बिक्री योजना का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।