उत्तराखंड में जानिये क्या होगा 28 मार्च और उसके बाद

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देहरादून(एजेंसी):उत्तराखंड में मौजूदा सरकार रहेगी या नई सरकार आएगी। या फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगेगा। इसकी तस्वीर एक हफ्ते बाद साफ हो जाएगी। सरकार को 28 मार्च को बहुमत साबित करना है। जानकारों का मानना है कि इस दिन कई संभावनाएं बनी रहेंगी। एेसे में प्रदेश ही नहीं पूरे देश की नजरें पर उत्तराखंड पर रहेंगी।

उत्तराखंड के विधान सभा के इतिहास में पहली बार यह शक्ति परीक्षण होने जा रहा है। अभी कांग्रेस के साथ ही भाजपा और कांग्रेस के बागी अलग-अलग स्थानों पर रणनीति बनाने में जुटे हैं, जबकि अभी तक सरकार का समर्थन कर रहे बसपा के एक मात्र विधायक इससे बेफ्रिक हैं।

नहीं गिरेगी सरकार
स्पीकर दल-बदल कानून के तहत यदि बागी नौ विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं तो इसी दशा में सरकार बच पाएगी। लेकिन इस पर एक पेंच फंस रहा है। स्पीकर सदन में ही यह कार्रवाई कर सकते हैं। सदन के बाहर उनके द्वारा की गई कार्रवाई विधिक नहीं होगी। कार्रवाई होने पर विधायक कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। इस पर फैसला आने पर कुछ वक्त लग सकता है।

तो सरकार का गिरना तय
बागियों पर कार्रवाई नहीं होती तो बहुमत के दिन वे सरकार के खिलाफ वोटिंग करेंगे। विपक्ष के 27 सदस्य और कांग्रेस के नौ बागी मिलाकर संख्या 36 हो रही रही है, जो उत्तराखंड में सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा है। यह संख्या होने पर हरीश रावत सरकार का गिरना तय माना जा रहा है। इस दिन भाजपा के जेल में बंद विधायक गणेश जोशी पैरोल पर रिहा होकर सदन में हिस्सा ले सकते हैं।

पीडीएफ का रोल अहम
कांग्रेस ने अपने कई विधायकों के साथ ही पीडीएफ के सभी छह सदस्य गुप्त स्थान पर ठहराए हैं। सरकार को खतरा हैं कि इनमें से भी कोई खिसक न जाए। अन्यथा यह नौबत नहीं आती कि उन्हें छिपाकर रखा जाता। सरकार को यह भी खतरा है कि बागी या भाजपा उनके विधायक तोड़ सकती है। सीएम को यदि आभास होता है कि वे बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे तो इस दशा में वे राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं।

बागी भी कर सकते हैं दावा
कार्रवाई न होने की दशा में बागी भी सरकार बनाने का दावा कर सकते हैं। वे बाहर से भाजपा का समर्थन लेकर राज्यपाल को यह पत्र दे सकते हैं। बागी नौ और विपक्ष के 27 सदस्य मिलाकर नंबर गेम में बाजी मार रहे हैं। बागियों का मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व डा. हरक सिंह रावत में कोई एक हो सकता है। इन परिस्तिथयों में उत्तराखंड में एक विधान सभा कार्यकाल में तीन-तीन मुख्यमंत्री देने का रिकॉर्ड भी बना सकता है।

भाजपा को भी मिल सकता है मौका
राज्यपाल भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दे सकते हैं। सरकार के विधानसभा भंग करने की सिफारिश पर यह स्थिति बनेगी। भाजपा यह न्योता स्वीकार करती या नहीं इस पर 28 मार्च को ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। वैसे राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा सरकार बनाने का दांव नहीं खेलेंगी, क्योंकि इसी साल के अंत में विस चुनावों की आचार संहिता लगनी है। एेसे में कुछ माह के लिए सरकार बनाने के तैयार नहीं होगी।

राष्ट्रपति शासन की सिफारिश
सभी परिस्थितियों को परखने के बाद राज्यपाल डा. केके पॉल उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भी कर सकते हैं। राज्यपाल को जब लगेगा को कोई भी दल सरकार बनाने के करीब नहीं है तो तब यह स्थिति उत्पन्न होगी। इस दशा में राज्य में अगले साल फरवरी माह तक राष्ट्रपति शासनकाल से गुजरना पड़ेगा।

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